Manu Smriti
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अधार्मिकं त्रिभिर्न्यायैर्निगृह्णीयात्प्रयत्नतः ।निरोधनेन बन्धेन विविधेन वधेन च ।।8/310

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पापियों को कारागार में रखने, बेड़ी आदि डालकर बाँधने तथा विविध प्रकार का शारीरिक व आर्थिक दण्ड देकर इन तीन उपायों से यत्नपूर्वक उनका निग्रह करें अर्थात् उक्त तीन उपायों द्वारा पापी पुरुषों का पाप छुड़ावें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
इसलिए राजा निरोध - कैद में बंद करना बन्धन - हथकड़ी, बेडी आदि लगाना और विविध प्रकार के वध - ताड़ना, अंगच्छेदन, मारना आदि इन तीन प्रकार के उपायों से यत्नपूर्वक चोर आदि दुष्ट अपराधी को वश में करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(अधार्मिकम्) अपराधी को (त्रिभिः न्यायैः) तीन प्रकार से (प्रयत्नतः) कोशिश करके (निग्रहणीयात्) दण्ड दे। (निरोधनेन) उसकी स्वतन्त्रता छीनकर अर्थात् तुम अमुक स्थान से बाहर नहीं जा सकते (externment or internment) (बन्धेन) कारागार में डालकर, (विविधेन बधेन च) अनेक प्रकार के शारीरिक दण्ड द्वारा।
 
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