Manu Smriti
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अनपेक्षितमर्यादं नास्तिकं विप्रलुंपकम् ।अरक्षितारं अत्तारं नृपं विद्यादधोगतिम् ।।8/309

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
शास्त्र मर्यादा का उल्लंघन करने वाला, नास्तिक, प्रजा की रक्षा न करने वाला प्रजा को पीड़ित करने वाला, प्रजा की रक्षा न करके कर आदि को ग्रहण करने वाला राजा अधोगति को प्राप्त होता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
शास्त्रोक्त मर्यादा के अनुसार न चलने वाले ईश्वर से अविश्वास करने वाले लोभ आदि के वशीभूत प्रजाओं की रक्षा न करने वाले, और कर आदि का धन प्रजाओं के हित में न लगाकर स्वयं खा जाने वाले राजा को नीच समझना चाहिए अथवा यह समझना चाहिए कि उसकी शीघ्र ही अवनति या पतन हो जायेगा ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
मर्यादा-रहित, नास्तिक, लोभी, अरक्षक, और कर का धन खाने वाले राजा को नीच समझना चाहिये।
 
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