Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि राजा प्रजा की रक्षा न करता हुआ कर आदि को ग्रहण करता रहे तो वह राजा सब लोगों के सब पापों को पाता है अर्थात् अपयश अपमानादि दुःख भोगता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
प्रजाओं की रक्षा न करने वाले और ‘बलि’ के रूप में छठा भाग ग्रहण करने वाले ऐसे राजा को सब प्रजाओं की सारी बुराइयों को ग्रहण करने वाला कहा है अर्थात् सभी प्रजाएं ऐसे राजा की सभी प्रकार से बुराइयां करती हैं ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो राजा प्रजा की रक्षा तो नहीं करता, परन्तु उससे उपज का छठा भाग भूमिकर के रूप में वसूल करता है, उसे विद्वान् लोग ‘उन सब लोगों के समग्र मलों को लेने वाला’ कहते हैं।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जो राजा रक्षा नहीं करता और छठा भाग लगान में लेता है उसको प्रजा के सब पापों का ढोने वाला कहा है।