Manu Smriti
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मनुष्याणां पशूनां च दुःखाय प्रहृते सति ।यथा यथा महद्दुःखं दण्डं कुर्यात्तथा तथा ।।8/286

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
मनुष्यों तथा पशुओं को जैसा-जैसा दुख देवें वैसा-वैसा ही दण्ड पावें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
मनुष्यों और पशुओं पर दुःख देने के लिये दण्ड से प्रहार करने पर जैसा - जैसा अधिक कष्ट हो उसी के अनुसार अधिक - कम दण्ड करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
एवं, मनुष्यों या पशुओं को पीड़ित करने के लिए प्रहार करने पर, उन्हें जैसे-जैसे बड़ा कष्ट पहुंचे, तदनुसार वैसे वैसे उस प्रहारकर्ता को न्यूनाधिक दण्ड दे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
मनुष्यों और पशुओं को मारे तो जितना-जितना अधिक दुःख पहुँचे उसी के हिसाब से दण्ड देना चाहिये।
 
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