Manu Smriti
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मातरं वा स्वसारं वा मातुर्वा भगिनीं निजाम् ।भिक्षेत भिक्षां प्रथमं या चैनं नावमानयेत् ।2/50

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पहले माता, बहन, मौसी से भिक्षा माँगें, और जो ब्रह्मचारी का अपमान न करे उससे भी भिक्षा मांगें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. इन ब्रह्मचारियों को मातरं वा स्वसारम् माता या बहन से वा मातुः निजां भगिनीम् अथवा माता की सगी बहन अर्थात् सगी मौसी से च और या एनं न अवमानयेत् जो इस भिक्षार्थी का अपमान न करे उससे प्रथमं भिक्षां भिक्षेत् पहले भिक्षा मांगे ।
टिप्पणी :
‘‘तत्पश्चात् ब्रह्मचारी यज्ञकुण्ड की प्रदक्षिणा करके कुण्ड के पश्चिम भाग में खड़ा रह के माता - पिता , बहन - भाई, मामा - मौसी, चाचा आदि से लेके जो भिक्षा देने में नकार न करें उनसे भिक्षा मांगे ।’’ (सं० वि० वेदारम्भ संस्कार)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
ब्रह्मचारी सर्वप्रथम अपनी माता, बहिन या मौसी से, ऐसी स्त्री से कि जो भिक्षा देने में नकार न करे, भिक्षा याचन करें।
 
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