Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तीनों वर्ण के ब्रह्मचारी भिक्षा मांगने के वाक्य में क्रमानुसार आदि, मध्य और अन्त में भवत् शब्द को कहेंगे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
उपनीतः द्विजोत्तमः यज्ञोपवीत संस्कार में दीक्षित ब्राह्मण भवत्पूर्वं भैक्षं चरेत् ‘भवत्’ शब्द को वाक्य के पहले जोड़कर, जैसे - ‘भवान् भिक्षां ददातु’ या ‘भवती भिक्षां देहि’ भिक्षा मांगे तु और राजन्यः क्षत्रिय भवत्ध्यम् ‘भवत्’ शब्द को वाक्य के बीच में लगाकर, जैसे - ‘भिक्षां भवान् ददातु’ या ‘भिक्षां भवती देहि’ भिक्षा मांगे तु और वैश्यः वैश्य भवत् + उत्तरम् ‘भवत्’ शब्द को वाक्य के बाद में जोड़कर , जैसे - ‘भिक्षां ददातु भवान्’ या ‘भिक्षां देहि भवती’ भिक्षा मांगे ।
टिप्पणी :
‘‘ब्राह्मण का बालक यदि पुरूष से भिक्षा मांगे तो ‘भवान् भिक्षां ददातु’ और जो स्त्री से मांगे तो ‘भवती भिक्षां ददातु’ और क्षत्रिय का बालक ‘भिक्षां भवान् ददातु और स्त्री से ‘भिक्षां भवती ददातु’, वैश्य का बालक ‘भिक्षां ददातु भवान् और भिक्षां ददातु भवती’ ऐसा वाक्य बोले ।’’
(सं० वि० वेदारम्भ संस्कार)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
उपनीत ब्राह्मण ब्रह्मचारी ‘भवत्’ शब्द को पूर्व में उच्चारण करके, क्षत्रिय ब्रह्मचारी, ‘भवत्’ को मध्य में उच्चारण करके, और वैश्य ब्रह्मचारी ‘भवत्’ को अन्त में उच्चारण करके भिक्षा मांगे। अर्थात् भवती भिक्षां ददातु कहके ब्राह्मण, भिक्षां भवती ददातु कहके क्षत्रिय, और भिक्षां ददातु भवती कहके वैश्य भिक्षा मांगे।