Manu Smriti
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एषोऽखिलेनाभिहितो धर्मः सीमाविनिर्णये ।अत ऊर्ध्वं प्रवक्ष्यामि वाक्पारुष्यविनिर्णयम् ।।8/266

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. यह सीमा के निर्णय करने के विषय में न्यायविधान पूर्णरूप से कहा । इसके बाद अब कठोर और दुष्टवचन बोलने पर निर्णय को कहूंगा ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
सीमा के निर्णय के सम्बन्ध में यह पूर्णतया न्यायव्यवस्था बतलायी गयी। अब वाणी की कठोरता के बारे में निर्णय बतलाया जावेगा।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इतना तो सीमा सम्बन्धी झगड़ों के निर्णय का विषय कहा। अब माली के निर्णय को कहते हैं।
 
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