Manu Smriti
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एतैर्लिङ्गैर्नयेत्सीमां राजा विवदमानयोः ।पूर्वभुक्त्या च सततं उदकस्यागमेन च ।।8/252

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इन पूर्वोक्त चिह्नों और पूर्व समय के खेल आदि तथा निरन्तर जल प्रवाह द्वारा राजा सीमा को ज्ञात करने का निर्णय करे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
राजा सीमा के विषय में लड़ने वालों की इन चिन्हों से तथा पहले जो उसका उपभोग कर रहा हो, इस आधार पर और निरन्तर जल के प्रवाह के आगमन के आधार पर (कि पानी किस ओर से आता है आदि) सीमा का निर्णय करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
राजा इन उपर्युक्त चिह्नों, पहले के कब्जे, और जल से सतत प्रवाह से झगड़ने वाले दो ग्रामों की सीमा का निर्णय करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(एतैः लिंगैः) इन चिह्नों से राजा (विवदमानयोः सीमां नयेत्) सीमा के विषय में लड़ने वालों का न्याय करे। (पूर्व भुक्त्या च) और पहले कौन सी भूमि किसने भोगी इससे भी। (सततम् उदकस्य आगमेन च) और निरन्तर बहने वाली नदी आदि की धाराओं से भी।
 
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