Manu Smriti
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उपछन्नानि चान्यानि सीमालिङ्गानि कारयेत् ।सीमाज्ञाने नृणां वीक्ष्य नित्यं लोके विपर्ययम् ।।8/249

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
सीमा के निर्णय करने में संसार में मनुष्यों के नित्य होने वाले उलटफेर को देखकर राजा को चाहिये कि वह गुप्त तौर पर अन्य भी सीमा के चिह्न करवावे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(सीमाज्ञाने) सीमा के विषय में (लोके) संसार में (नित्यम्) सदा (नृणाम् विपर्ययम्) मनुष्यों में मतभेद पाया जाता है, इसको (वीक्ष्य) देखकर (अन्यानि उपच्छन्नानि सीमालिंगानि कार्येत्) अन्य गुप्त चिह्नों को भी स्थापित करना चाहिये।
 
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