Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
सीमा के संधिस्थानों पर तालाब, कुंए वावलियां, नालियाँ और विद्यालय-यज्ञशाला आदि देवस्थान बनवाने चाहिएँ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(तड़ाग) तालाब, (उदप) कुंये, (वापी) बावड़ी, (प्रस्रवणानि) झरने (देवतायनानि) यज्ञशालायें सीमा में बनानी चाहियें।