Manu Smriti
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क्षेत्रेष्वन्येषु तु पशुः सपादं पणं अर्हति ।सर्वत्र तु सदो देयः क्षेत्रिकस्येति धारणा ।।8/241

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि मार्ग, ग्राम आदि की समीपता से भिन्न अन्य स्थल के खेत को पशु खा जावें तो चरवाहा सौ पण दण्ड देवे और अपराधानुसार जितनी हानि हुई है उतनी पशुपालक व पशुस्वामी दे दे, यह मर्यादा है।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु, यदि इसी प्रकार चरवाहे की लापरवाही से पशु अन्य, अर्थात् नगर-समीपवर्ती, खेतों में चर जावे, तो उस चरवाहे को सवा सौ पण जुर्माना करना चाहिए। किन्तु मार्ग, ग्राम, नगर, कहीं भी पशु के चरने से खेत के मालिक का जितना नुक़सान हुआ हो, वह सब उस चरवाहे को, उस खेत के मालिक को, देना चाहिए, यह व्यवस्था है।
 
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