Manu Smriti
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पथि क्षेत्रे परिवृते ग्रामान्तीयेऽथ वा पुनः ।सपालः शतदण्डार्हो विपालान्वारयेत्पशून् ।।8/240

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
मार्ग व ग्राम के समीपवर्ती बाड़ के घिरे हुये क्षेत्र के अन्न को यदि पशु उजाड़ें तो वह चरवाहा सौ पण दण्ड देवे तथा जिन पशुओं के साथ पशुपालक नहीं है उनको खेत का रक्षक स्वयं हटा दे।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु यदि मार्ग में या गांव के समीप, मेंड से धिरे हुए खेत में, चरवाहे के साथ न रहने से, पशु चर जावें, तो उस चरवाहे को सौ पण जुर्माना करना चाहिए।
 
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