Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
तासां चेदवरुद्धानां चरन्तीनां मिथो वने ।यां उत्प्लुत्य वृको हन्यान्न पालस्तत्र किल्बिषी ।।8/236

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि चरवाहे की रक्षा में वन में चरती हुई भेड़, बकरी या गाय को शेर ने मार डाला हो तो चरवाहा उसके पाप का भागी नहीं होता।
टिप्पणी :
क्योंकि प्रथम से ही रक्षा करना चरवाहे की सामथ्र्य से परे है। अतः चरवाहा उसका जिम्मेदार नहीं।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु यदि वे भेड़-बकरियां चरवाहे से घिरी हुईं इकट्ठी वन मे चर रही हों, और उस समय कोई भेड़िया आदि उस गिरोह में कूद कर किसी को मार डाले तो चरवाहा दोषी नहीं होता।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
परन्तु यदि बन में चरती हुई भेड़ बकरियों को यकायक आ कर भेड़िया मार डाले, तो चरवाहे का दोष नहीं है।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS