Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पशु के स्वयं मर जाने पर पशुपालक सींग, खुर आदि अंश पशु स्वामी को दिखा देवें तथा कान, चमड़ा, बाल, चर्बी, स्नायु (नसें) और ओरोचन स्वामी को लाकर देवें।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जब कोई पशु स्वयमेव मर जावें, तो चरवाहे को चाहिए कि वह उसके कान, चमड़ा, ऊन, बस्ति,तांत और चर्बी मालिक को देदे, तथा अन्य सींग आदि अंग दिखलादे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
यदि पशु अपनी मौत पर मर जाय तो मालिक को लाश दिखा देनी चाहिये और पशु का कान, चमड़ा, बाल, बस्ति, स्नायु और रोचना मालिक के हवाले कर देने चाहिये।