Manu Smriti
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विघुष्य तु हृतं चौरैर्न पालो दातुं अर्हति ।यदि देशे च काले च स्वामिनः स्वस्य शंसति ।।8/233

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि बलात्कार चोर पशु ले जावें तो उस पशु को वह न देवें। यदि उसी समय पशु स्वामी को पशुहरण का सम्पूर्ण वृत्तान्त ज्यों का त्यों कह देवें।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु यदि किसी पशु को, शोरगुल मचाते हुए खुल्लमखुल्ला तौर पर, चोर छीन कर ले गये हों, और वह चरवाहा इस की सूचना उचित देश-काल में अपने स्वामी को दे दे, तो वह उस पशु का मूल्य न देगा।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
यदि बलात्कार चोर ले जायँ और समय और स्थानानुसार सेवक मालिक को खबर कर दें, तो वह पशु चरवाहे से नही लिया जा सकता।
 
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