Manu Smriti
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गोपः क्षीरभृतो यस्तु स दुह्याद्दशतो वराम् ।गोस्वाम्यनुमते भृत्यः सा स्यात्पालेऽभृते भृतिः ।।8/231

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस गोपाल (अहीर) का कुछ वेतन नियत नहीं हुआ वह स्वामी की अनुमति से दस गऊ चरावें तो उनमें से एक श्रेष्ठ गौ का दूध उसको वेतन में लेना चाहिए।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो गोपालक भृत्य वेतनरूप में दूध लेता हो, वह दस गौओं में जो अच्छी गाय है, उस एक गाय का दूध गोस्वामी की आज्ञा से दुह लिया करे। वह उस, अन्य वेतनरहित, गोपालक का वेतन करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जिस चरवाहे को वेतन दूध के रूप में मिलता है, वह स्वामी की अनुमति से दस में एक गाय का दूध ले लेवे। दस गाय पालने की उसकी यही भृति अर्थात् मजदूरी है।
 
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