Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
पशुओं के विषय में पशुस्वामियों और पशुपालकों के बीच किसी प्रकार का व्यतिक्रम हो जाने पर जो झगड़ा उपस्थित होता है, अब उसका न्यायानुसार यथावत् वर्णन किया जाता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
पशुओं के सम्बन्ध में मालिक और चरवाहे के झगड़े के नियम धर्मानुसार कहता हूँ।
दिवा वक्तव्यता पाले रात्रौ स्वामिनि तद् गृहे ।