Manu Smriti
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यस्मिन्यस्मिन्कृते कार्ये यस्येहानुशयो भवेत् ।तं अनेन विधानेन धर्म्ये पथि निवेशयेत् ।।8/228

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस जिस कार्य के करने के पश्चात् जिसको उस कार्य में पश्चाताप हो उसको इस पूर्वोक्त विधान द्वारा धर्म मार्ग में नियुक्त करें।
 
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