Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
कार्पासं उपवीतं स्याद्विप्रस्योर्ध्ववृतं त्रिवृत् ।शणसूत्रमयं राज्ञो वैश्यस्याविकसौत्रिकम् ।2/44

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्राह्मण को कपास का (जनेऊ) उपवीत, क्षत्रिय को सन का उपवीत (जनेऊ) और वैश्य को भेड़ के बालों का जनेऊ पहनना चाहिये। यो इस प्रकार कि तिगुना करके फिर तिगुना करना।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. विप्रस्य ब्राह्मण का उपवीतम् यज्ञोपवीत कार्पासम् कपास का बना राज्ञः क्षत्रिय का शणसूत्रमयम् सन के सूत का बना, और वैश्यस्य वैश्य का आविक सौत्रिकम् भेड़ की ऊन के सूत का बना स्यात् होना चाहिए, वह उपवीत ऊर्ध्ववृतम् दाहिनी ओर से बायीं ओर का बटा हुआ, और त्रिवृत् तीन लड़ों से तिगुना करके बना हुआ होना चाहिए ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
ब्राह्मण ब्रह्मचारी का यज्ञोपवीत कपास के सूत का, क्षत्रिय ब्रह्मचारी का सन के सूत का और वैश्य ब्रह्मचारी का ऊन के सूत का हो। परन्तु ये सब उपबीत दाईं ओर से बटे हुए और तीन-तीन तारों के होने चाहिऐं।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS