Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
किसी वस्तु को खरीद कर या बेच कर यदि पीछे उस पर किसी को पश्चात्ताप हो, तो वह उस वस्तु को दस दिन के अन्दर उस दूकानदार को वापिस दे दे, या वह दूकानदार उस ग्राहक से दस दिन के अन्दर वापिस ले ले। दस दिन के बाद वह वस्तु न लौटायी जा सकती है और न ली जा सकती है। यदि व्यापारी जबर्दस्ती उसे लेना चाहे, या ग्राहक जबर्दस्ती उसे देना चाहे, तो राजा उस अपराधी को ६४० पण ज़ुर्माना करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
दस दिन के पीभे न लौटा देवे, न लौटा लेवे। जो लौटा लेने या लौटा देने के लिये आग्रह करे उस पर राजा छः सौ पण जुर्माना करे।