Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
व उस पूर्वोक्त मनुष्य को पकड़ कर चार सौ पण, छः निष्क तथा एक चाँदी का शतमान दण्ड लेवे। इन सब की तौल प्रथम ही कह चुके हैं।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
अथवा, उस प्रतिज्ञा-भेदी को पकड़वा कर राजा उस से चार सुवर्ण, या छः निष्क, या चांदी का शतमान जुर्माना वसूल करे। अर्थात्, अपराध के स्वरूप को देखकर तदनुसार एक दो या तीनों जुर्माने किये जावें।