Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
अस्वस्थ हो व स्वस्थ हो कार्यकत्र्ता जिस कार्य को स्वीकार करे और वह कार्य थोड़ा ही शेष रह गया है। उस शेष कार्य को न तो वह स्वयम् ही पूर्ण करता है न अन्य के द्वारा पूर्ण कराता है तो उसे कुछ न देना चाहिये।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इसी प्रकार यदि किसी कर्मचारी को किसी निश्चित काम के लिए नियुक्त किया हो, परन्तु वह रोगपीड़ित, या स्वस्थ, होने की दशा में स्वयं काम न करने पर किसी दूसरे से उस काम को पूरा न करावे, तो चाहे थोड़ा ही काम शेष रह गया हो, उसे वेतन न देना चाहिए।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जो बीमार या तन्दुरुस्त कहे हुये काम को न करा सके तो उसका वेतन न देना चाहिये, चाहे वह काम थोड़ा ही शेष रह गया हो।