Manu Smriti
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आर्तस्तु कुर्यात्स्वस्थः सन्यथाभाषितं आदितः ।स दीर्घस्यापि कालस्य तल्लभेतैव वेतनम् ।।8/216

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
कार्यकत्र्ता रोग ग्रसित होने पर कार्य त्याग दे तथा निरोग होने पर पुनः कार्य करे तो वह पिछले दिनों का भी वेतन पावे।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु जब रोगपीड़ित भृत्य स्वस्थ हो जाने पर पूर्ववत्, जैसा कहा जावे वैसा, काम करे, तो वह रुग्णावस्था के उस दीर्घकाल का भी वेतन पावेगा।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
यदि बीमार नौकर चंगा होकर पहले से निश्चित कर्म को कर दे तो उसको दीर्घकाल का वेतन मिले।
 
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