Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
कार्यकत्र्ता रोग ग्रसित होने पर कार्य त्याग दे तथा निरोग होने पर पुनः कार्य करे तो वह पिछले दिनों का भी वेतन पावे।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु जब रोगपीड़ित भृत्य स्वस्थ हो जाने पर पूर्ववत्, जैसा कहा जावे वैसा, काम करे, तो वह रुग्णावस्था के उस दीर्घकाल का भी वेतन पावेगा।