Manu Smriti
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संभोगो दृश्यते यत्र न दृश्येतागमः क्व चित् ।आगमः कारणं तत्र न संभोग इति स्थितिः ।।8/200

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस वस्तु में उपयोग (व्यय) दीखता है किन्तु आने का प्रमाण (लेख) कहीं नहीं देख पड़ता। तो उसमें आगम (आने का प्रमाण, लेख) ही प्रमाण है। संभोग ही ऐसी शास्त्र मर्यादा है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जहां उपभोग तो देखा जाता है, आगम नहीं देखा जाता, वहां आगम प्रमाण है, उपभोग नहीं। तात्पर्य यह है कि किसी चीज का भोगने वाला उसका स्वामी नहीं है। जो यह सिद्ध कर दे कि मेरे पास यह वस्तु इस प्रकार आई, वही स्वामी है।
 
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