Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
निक्षिप्तस्य धनस्यैवं प्रीत्योपनिहितस्य च ।राजा विनिर्णयं कुर्यादक्षिण्वन्न्यासधारिणम् ।।8/196

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो वस्तु दिखाकर अथवा गिनवा कर किसी के पास धरोहर रक्खी जावे व जो वस्तु मुद्रांकित (गोपनीय) कर थाती रूप सौंपी गई व जो वस्तु प्रीतिपूर्वक सौंपी गई है। राजा इन तीनों प्रकार की धरोहरों का इस प्रकार निर्णय करे कि धरोहरधारी को पीड़ा न पहुँचे।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इस प्रकार प्रीतिपूर्वक खुल रूप में या मुद्रादि से चिन्हित रूप में रखे गये धरोहर का ठीक-ठीक निर्णय, राजा धरोहर धरने वाले को दुःख न देता हुआ करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
धरोहर में रक्खे हुये धन और प्रीति से उपभोग के लिये रक्खे हुये धन का राजा ऐसा निर्णय करें अर्थात् उसके सम्बन्ध में ऐसे नियम बना दें, जिससे न्यासधारी अर्थात् धरोहर रखनेवाले को कष्ट न पहुँचे।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS