Manu Smriti
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निक्षेपो यः कृतो येन यावांश्च कुलसंनिधौ ।तावानेव स विज्ञेयो विब्रुवन्दण्डं अर्हति ।।8/194

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
कुल की उपस्थिति में जितनी थाती रक्खी है उस संख्या के विपरीत कहे तो थाती के तुल्य धन दण्ड स्वरूप दे। क्योंकि वृथा भाषण और थाती को पचा जाने के अपराधों का अपराधी है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जो धरोहर जिसने धरी हो और जितनी धरी हो (कुल संनिधौ) साक्षियों के सामने, उतनी ही समझनी चाहिये। (विब्रुवन्) जो इस के विपरीत बतावें वह दण्ड का भागी हो।
 
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