Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो पुरुष छल द्वारा किसी के धन को अपहरण करता है। सब मनुष्यों के सम्मुख उसकी उसके सब सहायकों सहित शारीरिक व आर्थिक दण्ड देकर मारें।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(यः कश्चित् नरः) जो कोई आदमी (पर द्रव्यम्) दूसरे के धन को (उपधाभिः) झूठ-मूठ बहाने डरा कर लेता है वह अपने साथियों के साथ (प्रकाशम्) सब जनता के समक्ष भिन्न-भिन्न दण्डों के पाने के योग्य हैं।
उपधा, ऐसे बहाने को कहते हैं कि ”राजा तुम से अप्रसन्न हैं, हम तुम को बचा देंगे“ इत्यादि-इत्यादि।