Manu Smriti
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यो निक्षेपं नार्पयति यश्चानिक्षिप्य याचते ।तावुभौ चौरवच्छास्यौ दाप्यौ वा तत्समं दमम् ।।8/191

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो मनुष्य थाती को नहीं देता है वा जो बिना थाती सौंपे माँगता है। दोनों चोर के समान दण्डनीय हैं अथवा थाती के तुल्य धन दण्ड स्वरूप लेना चाहिये।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो मांगने पर धरोहर नहीं देता वा जो बिना धरोहर रखे झूठ-मूठ ही धरोहर मांगता है, वे दोनों चोर की तरह दण्डनीय हैं, वा उनसे उस धरोहर-द्रव्य के बराबर जुर्माना भरवावे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जो धरोहर नहीं देता और जो बिना रक्खे मांगता है। वह दोनों चोर के समान अपराधी है। या उनसे उतना ही धन जुर्माना में लेना चाहिये।
 
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