Manu Smriti
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चौरैर्हृतं जलेनोढं अग्निना दग्धं एव वा ।न दद्याद्यदि तस्मात्स न संहरति किं चन ।।8/189

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
थाती चोरी गई हो, वा जल द्वारा नष्ट हो गई हो, वा अग्नि द्वारा भस्म हो गई हो तो जिसके समीप थाती रखी गई है वह न देवे यदि उसमें से स्वयं कुछ न लिया हो।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु यदि वास्तव में धरोहर धरने वाले ने उस धरोहर में से अपने आप कुछ न चुराया हो, प्रत्युत उसे चोर चुरा ले गये हों, बाढ़ आदि के आजाने पर पानी में बह गया हो, या आग में जल गया हो, तो वह उस धरोहर को न देगा।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
चोरी किया हुआ, जल में डूबा हुआ, अग्नि में जला हुआ धरोहर देना नहीं पड़ता यदि उसमें से कुछ ले न लिया गया हो। (क्योंकि यह दैवी आपत्तियाँ हैं। इस में किसी का अपराध नहीं है।)
 
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