Manu Smriti
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स्वयं एव तु यौ दद्यान्मृतस्य प्रत्यनन्तरे ।न स राज्ञाभियोक्तव्यो न निक्षेप्तुश्च बन्धुभिः ।।8/186

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
थाती सौंपने के थोड़े काल पश्चात् उसकी मृत्यु हो गई तो वह धनी वा मनुष्य जिसके समीप उसकी थाती रखी है स्वयं ही उस थाती को उस पुरुष को सौंप दे जिसने उसके धन को धर्मतः प्राप्त किया है। मृतक पुरुष का पुत्र तथा राजा उससे अन्य वस्तु न माँगे अर्थात् यह न कहे कि तुम्हारे पास अमुक वस्तु और थाती स्वरूप है उसे भी दो।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो मनुष्य धरोहर रखने वाले के मर जाने पर उसके उत्तराधिकारी को स्वयमेव धरोहर दे देवे, तो राजा या उस धरोहर रखने वाले के बन्धुओं को, उस पर झूठा-मूठा कोई अभियोग न चलना चाहिए। अपितु, सन्देह होने पर, निष्कपट भाव से प्रीतिपूर्वक उस धन का निश्चय करले। अथवा, उसके शील-स्वभाव को जान कर शान्तिपूर्वक ही अपना अभिप्राय सिद्ध करे।
 
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