Manu Smriti
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साक्ष्यभावे प्रणिधिभिर्वयोरूपसमन्वितैः ।अपदेशैश्च संन्यस्य हिरण्यं तस्य तत्त्वतः ।।8/182

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
साक्षी के अभाव में यदि थाती रखने वाला स्वामी व धनी राजा से धर्मयुक्त बात न कहे तो दूसरे उसके समीप थाती सौंपवा दे।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यदि वह फिर भी न माने और धरोहर रखने वाले का कोई साक्षी न हो, तो राजा को चाहिए कि वह अपने अतिविश्वस्त गुप्तचरों के द्वारा, जोकि बड़ी आयु वाले और सुरूप हों, बहनों से उसके पास धन, धरोहर रखने के नियमों के अनुसार, रखवावे।
 
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