Manu Smriti
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यो निक्षेपं याच्यमानो निक्षेप्तुर्न प्रयच्छति ।स याच्यः प्राड्विवाकेन तन्निक्षेप्तुरसंनिधौ ।।8/181

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि जिस पुरुष को थाती (निक्षेप, अमानत) सौंपी है वह माँगने पर न देवें। तो राजा थाती रखने वाले से थाती के स्वामी के परोक्ष में प्रश्नोत्तर द्वारा सत्य तत्त्व परिज्ञात कर ले।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो धरोहर रखने वाले की धरोहर, मांगने पर, नहीं देता, उससे राज-वकील धरोहर रखने वाले से अलग करके मांगे।
 
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