Manu Smriti
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अनेन विधिना राजा मिथो विवदतां नृणाम् ।साक्षिप्रत्ययसिद्धानि कार्याणि समतां नयेत् ।।8/178

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इस विधि से जो विवाह परस्पर प्रीति करने वाले मनुष्यों की साक्षियों द्वारा प्रमाणित है राजा उसमें विरुद्ध कार्यों को अमान्य कर सत्य तत्त्व बलात्पर्य को ज्ञान लाभ करले।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
राजा आपस में झगड़ने वाले पुरुषों के झगड़ों का निर्णय, इस प्रकार साक्षी और कागज़ आदि अन्य प्रमाणों के द्वारा सिद्ध करके, करे।
 
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