Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
दर्शन प्रतिभू तथा विश्वास प्रतिभू यह दोनों प्रकार के प्रतिभू ऋण के तुल्य धन को लेकर प्रतिभू हुये हों, तत्पश्चात् मृत्यु हो गई हो तो ऋणदाता, अपने धन को प्राप्त करने की इच्छा से किससे धन प्राप्त करे प्रतिभू की तो मृत्यु हो गई तथा उसके पुत्र से लेने की आज्ञा नहीं। वह तर्क करके उत्तर को कहते हैं।
टिप्पणी :
अर्थात् जिसने ऐसा कहा कि हमारे विश्वास से इसे ऋण दे दो यह तुमसे कपट न करेगा, भले का पुत्र है, अच्छा गाँव का स्वामी है, तथा उपजाऊ भूमि इसके पास है।