Manu Smriti
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संप्रीत्या भुज्यमानानि न नश्यन्ति कदा चन ।धेनुरुष्ट्रो वहन्नश्वो यश्च दम्यः प्रयुज्यते ।।8/146

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
गऊ, ऊँट, घोड़ा, बैल, इन सबको स्वामी की आज्ञा से जो कोई बरते तो जिसकी वह वस्तुएँ हैं, उसका स्वामित्व नष्ट नहीं होता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
धेनुः) गाय (उष्ट) ऊंट (अश्व) घोडा (वहन दम्य) लादने बैल ये जो प्रीति पूर्वक कोई काम में लावे तो वे (कदा-चन न नश्यन्ति ) स्वामित्तव से नष्ट नही होते अर्थात अपने पूर्व स्वामी के ही रहते है । दूसरे के नही हो जाते ।
 
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