Manu Smriti
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आधिश्चोपनिधिश्चोभौ न कालात्ययं अर्हतः ।अवहार्यौ भवेतां तौ दीर्घकालं अवस्थितौ ।।8/145

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
आधि वस्तु (रेहन की हुई वस्तु) तथा प्राप्ति वश कोई वस्तु किसी को मांगे देना इन दोनों प्रकार की वस्तु का उसका स्वामी जब मांगे तुरन्त ही देना चाहिये। यह न कहे कि इतने दिन में देंगे और बहुत काल तक रहने से यह दोनों वस्तुएँ दीर्घकाली नहीं हो जाती हैं वरन् वास्तविक स्वामी का स्वामित्व स्थित रहता है जिसके पास रखी है वह स्वामी नहीं हो जाता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(आधि:) गिरवी (उपनिधि:च ) और अमानत (उभौ) दोनो (कालात्ययम) मियाद अर्थात समय की सीमा के (न अर्हत) योग्य नही है । (तौ) यह दोनो (दीर्घ कालम अवस्थितौ ) बहुत दिनो रहने पर भी (अवहार्यो भवेताम) लौटा देनी चाहिये । अर्थात यह नही कह सकते कि इतने दिनो के पश्चात गिरबी या अमानत जब्त कर ली जायगी ।
 
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