Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
बलात् उस रोधित (रेहन) वस्तु को कार्य में न लावें यदि ऐसा करें तो ब्याज छोड़ दें अथवा वस्तु के स्वामी को उसकी मूल्य देकर प्रसन्न करें यदि ऐसा न करें तो रोधित (रेहन) वस्तु का चोर होता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
बलाद) जबदरस्ती (आधि न भोक्तवयः) गिरवी को काम में न लाना चाहिये । (भुजान वृद्धम उत्सजेत ) यदि काम में लावे तो ब्याज न ले । (मूल्येन च एव तोषयेत) मूल्य देकर उसको सन्तुष्ट कर दे । (अन्यथा आधिस्तेन भवेत ) अन्यथ गिरवी चोर समक्षा जावे