Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
वसिष्ठविहितां वृद्धिं सृजेद्वित्तविवर्धिनीम् ।अशीतिभागं गृह्णीयान्मासाद्वार्धुषिकः शते ।।8/140

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
धन बढ़ाने के निमित्त वसिष्ठ ने जितना सूद लेने का विधान किया है, उतना सूद लेवे। अर्थात् वृद्धि चाहने वाला व्यापारी अधिक से अधिक सौ में अस्सीवां भाग, अर्थात् सवा रुपया सैंकड़ा मासिक सूद ले, इससे अधिक नहीं।
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS