Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
अढ़ाई सौ पणों का एक प्रथम साहस, पांच सौ पणों का एक मध्यम साहस, और एक हजार पणों का एक उत्तम साहस माना गया है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
छस घरण का चाॅदी का एक शतमान चार सुवर्ण का एक निष्क । दो सौ पचास पणों का सौ पण का मघ्यम साहस । एक हजार पग का उत्तम साहस ।