Manu Smriti
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पणानां द्वे शते सार्धे प्रथमः साहसः स्मृतः ।मध्यमः पञ्च विज्ञेयः सहस्रं त्वेव चोत्तमः ।।8/138

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
अढ़ाई सौ पणों का एक प्रथम साहस, पांच सौ पणों का एक मध्यम साहस, और एक हजार पणों का एक उत्तम साहस माना गया है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
छस घरण का चाॅदी का एक शतमान चार सुवर्ण का एक निष्क । दो सौ पचास पणों का सौ पण का मघ्यम साहस । एक हजार पग का उत्तम साहस ।
 
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