Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
चांदी के सिक्के में दो रत्ती के बराबर एक चांदी का माषक है। उन सोलह माषकों का एक चांदी का धरण होता है, और उतना ही पुराण। तथा, दस धरणों का एक चांदी का शतमान होता है।
तांबे के सिक्कों में कर्ष (सुवर्ण) के बराबर एक तांबे का ‘पण’ होता है, जिसे कर्ष के बराबर होने के कारण कार्षापण भी कहते हैं।