Manu Smriti
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पलं सुवर्णाश्चत्वारः पलानि धरणं दश ।द्वे कृष्णले समधृते विज्ञेयो रौप्यमाषकः ।।8/135

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
चार सुवर्णों का एक ‘पल’ होता है
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
एवं, चार सुवर्णो का एक फल, दस फलों का एक धरण, और तोल से चार सुवर्णें का एक निष्क होता है। ये सोने के तोल व सिक्के हैं।
 
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