Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
माप के अनुसार आठ ‘त्रसरेणु’ की एक ‘लिक्षा’ होती हैं, और उन तीन लिक्षाओं का एक ‘राजसर्षप’ उन तीन ‘राज-सर्षपों’ का एक ‘गौरसर्षप’ होता है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
तोल से आठ त्रसरेणुओं की एक लिक्षा (लीख या जूं), तीन लिज्ञायों का एक राई का दाना, और तीन राईदानां के बराबर एक श्वेत सरसों का दाना होता है।