Manu Smriti
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चतुर्थे मासि कर्तव्यं शिशोर्निष्क्रमणं गृहात् ।षष्ठेऽन्नप्राशनं मासि यद्वेष्टं मङ्गलं कुले ।2/34

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
चौथे मास (महीने) लड़के को घर से बाहर निकालना चाहिए और छठे मास में या जिस महीने में अपने कुल की रीति हो अन्नप्राशन करना चाहिए।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
शिशोः बालक का गृहात् निष्क्रमणं घर से बाहर निकालने का ‘निष्क्रमण संस्कार’ चतुर्थे मासि चैथे मास में कत्र्तव्यम् करना चाहिए और अन्नप्राशनम् अन्न खिलाने का संस्कार - ‘अन्नप्राशन’ (षष्ठे मासि) छठे मास में (वा) अथवा यत् कुले इष्टं मंगलम् जब भी परिवार को अभीष्ट अथवा शुभ समय प्रतीत हो, तब करे ।
टिप्पणी :
‘‘निष्क्रमण संस्कार उस को कहते हैं कि जो बालक को घर से जहां का वायुस्थान शुद्ध हो वहां भ्रमण कराना होता है । उसका समय जब अच्छा देखे तभी बालक को बाहर घुमावें अथवा चैथे मास में तो आवश्य भ्रमण करावें ।’’ (सं० वि० निष्क्रमण संस्कार) ‘‘छठे महीने बालक को अन्नप्राशन करावे ।’’ (सं० वि० अन्नप्राशन सं०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
चौथे मास बच्चे का, जन्म-गृह से बाहर निकलने का, निष्कमण संस्कार करना चाहिए। और, छठे मास में ‘अन्नप्राशन’ संस्कार करे, अथवा जिस दिन कुल में इष्ट मंगल हो उस दिन करे।
 
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