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--CHAPTER NUMBER--
1. सृष्टि उत्पत्ति एवं धर्मोत्पत्ति विषय
2. संस्कार एवं ब्रह्मचर्याश्रम विषय
3. समावर्तन, विवाह एवं पञ्चयज्ञविधान-विधान
4. गृह्स्थान्तर्गत आजीविका एवं व्रत विषय
5. गृहस्थान्तर्गत-भक्ष्याभक्ष्य-देहशुद्धि-द्रव्यशुद्धि-स्त्रीधर्म विषय
6. वानप्रस्थ-सन्यासधर्म विषय
7. राजधर्म विषय
8. राजधर्मान्तर्गत व्यवहार-निर्णय
9. राज धर्मान्तर्गत व्यवहार निर्णय
10. चातुर्वर्ण्य धर्मान्तर्गत वैश्य शुद्र के धर्म एवं चातुर्वर्ण्य धर्म का उपसंहार
11. प्रायश्चित विषय
12. कर्मफल विधान एवं निःश्रेयस कर्मों का वर्णन
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COMMENTARY
एषां अन्यतमे स्थाने यः साक्ष्यं अनृतं वदेत् ।तस्य दण्डविशेषांस्तु प्रवक्ष्याम्यनुपूर्वशः ।।8/119
Commentary by
: स्वामी दर्शनानंद जी
इनके अतिरिक्त अन्य स्थानों में असत्य साक्षी देवे तो उसके हेतु विशेषदण्ड को क्रमानुसार कहेंगे।
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Commentary by
: पण्डित राजवीर शास्त्री जी
‘इनमें भिन्न स्थान में साक्षी झूठ बोले उसको वक्ष्यमाण अनेकविध दण्ड दिया करे ।’ (स० प्र० षष्ठ समु०)
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Commentary by
: पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो साक्षी इन में से किसी कारण से झूठी गवाही दे, उस के दण्डविशेषों को क्रमशः कहता हूं-
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Commentary by
: पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इनसे से जिस जिस कारण से गवाही झूठी दी जाय उसमे से किसके लिये दण्ड होना चाहिये यह क्रमपूर्वक आगे कहेगे ।
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