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मङ्गल्यं ब्राह्मणस्य स्यात्क्षत्रियस्य बलान्वितम् ।वैश्यस्य धनसंयुक्तं शूद्रस्य तु जुगुप्सितम् ।2/31

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्राह्मण के नाम में मंगल शब्द (अर्थात् प्रसन्नता, आनन्द) और क्षत्रिय के नाम में बल शब्द (अर्थात् शक्ति) और वैश्य के नाम में धन शब्द (अर्थात् सम्पत्ति) और शूद्र के नाम में नन्द शब्द (अर्थात् सेवक) संयुक्त करना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. ब्राह्मणस्य मंगल्यं स्यात् ब्राह्मण का नाम शुभत्व - श्रेष्ठत्व भावबोधक शब्दों से जैसे - ब्रह्मा, विष्णु, मनु, शिव, अग्नि, वायु, रवि, आदि रखना चाहिए क्षत्रियस्य क्षत्रिय का बलान्वितम् बल - पराक्रम - भावबोधक शब्दों से जैसे - इन्द्र, भीष्म, सुयोधन, नरेश, जयेन्द्र, युधिष्ठिर आदि वैश्यस्य धनसंयुक्तम् वैश्य का धन - ऐश्वर्यभाव - बोधक शब्दों से जैसे - वसुमान्, वित्तेश, विश्वम्भर, धनेश आदि , और शूद्रस्य तु शूद्र का जुगुप्सितम् रक्षणीय, पालनीय भावबोधक शब्दों से जैसे - सुदास अकिंचन नाम रखना चाहिए । अर्थात् व्यक्ति के वर्णसापेक्ष गुणों के आधार पर नामकरण करना चाहिए ।
 
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