Manu Smriti
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सभान्तः साक्षिणः प्राप्तानर्थिप्रत्यर्थिसंनिधौ ।प्राड्विवाकोऽनुयुञ्जीत विधिनानेन सान्त्वयन् ।।8/79

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
राजाज्ञा से अभियोग का निर्णयकत्र्ता ब्राह्मण सभा में वादी वा प्रतिवादी की उपस्थिति में आगे लिखित विधि से साम उपाय द्वारा साक्षी को आज्ञा दे। क्योंकि स्त्रियों में भय, लज्जा आदि स्वाभाविक गुण हैं अतः वे गवाही देने में भी इन गुणों से पृथक नहीं रह सकतीं, जिससे साक्षी की वास्तविकता में सन्देह है। अतएव स्त्रियों की गवाही अविश्वास योग्य निर्धारित व निश्चित की है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. जब अर्थी - वादी और प्रत्यर्थी - प्रतिवादी के सामने सभा के समीप प्राप्त हुए साक्षियों को शान्ति पूर्वक न्यायाधीश और प्राड्विवाक् अर्थात् वकील वा बैरिस्टर इस प्रकार से पूछें । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
सभा में वादी (मुद्दई) प्रतिवादी (मुद्दालेह) के सामने साक्षियों के प्राप्त होने पर वकील शान्तिपूर्वक उनसे इस प्रकार प्रश्न करे-
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
सभान्तः) सभा में (पा्रप्तान) आये हुए (साक्षिण ) गवाहियो से (अर्थि प्रत्यथि सत्रिधो) मुदई मुदाइलै के समाने (प्राड विवाक) वकील (अनेक विधिना) इस प्रकार (सान्त्वयन) शान्ति देकर (अनुयुजीत) पूछे:-
 
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