Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
तुम इस में साक्षी हो ऐसा नहीं कहा है तथा उसने अभियोग की वास्तविक दशा को देखा व सुना है यदि वह न्यायालय में बुलाया जावे तो उसने जैसा देखा वा सुना है वैसा ही कहे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. साक्षी के रूप में न बुलाये जाने पर भी (वादी वा प्रतिवादी के द्वारा) जहाँ कुछ भी देखा या सुना हो न्यायधीश के पूछने पर वहां जैसा देखा या सुना है वैसा ही कह दे अर्थात् न्याय के लिए स्वयं साक्षीरूप में पहुंच जाये ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यदि कोई मनुष्य पहले साक्षी नहीं बनाया गया, परन्तु उसने वह घटना देखी व सुनी है, तो उसे चाहिए कि वह न्यायसभा में पूछे जाने पर, जैसा देखा व सुना हो, वैसा सब सच-सच बतलादे।