Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जहाँ साक्षियों की साक्ष्य दो प्रकार की हों वह एक प्रकार की एक गवाही के बहुत साक्षियों की गवाही ग्रहण योग्य है। यदि संख्या में समान हैं और दो प्रकार की गवाहियाँ हैं तो वहाँ योग्य तथा उत्कृष्ट गुण वाले साक्षियों का साक्ष्य माननीय है। तथा समान गुण वाले साक्षियों में ब्राह्मण का साक्ष्य प्रमाणिक है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
दोनों ओर के साक्षियों में से बहुपक्षानुसार तुल्य साक्षियों में उत्तम गुणी पुरूष की साक्षी के अनुकूल और दोनों के साक्षी उत्तम गुणी और तुल्य हों तो द्विजोत्तम अर्थात् ऋषि महर्षि और यतियों की साक्षी के अनुसार न्याय करे ।
राजा या न्यायधीश..............
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
राजा को चाहिए कि वह साक्षियों के परस्पर विरोध में बहुपक्ष के अनुसार, समान साक्षियों में उत्तम गुणी पुरुषों की साक्षि के अनुसार, तथा उत्तम गुणी साक्षियों के समान होने पर, ऋषि-महर्षि-यतियों की साक्षी के अनुसार निर्णय करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
साक्षि द्वैधे) जब गवाहो मे विरोध हो तो राजा को चाहिये बहुपक्ष को माने संख्या में दोनो पक्ष बराबर हो तो गुणी लोगो यदि गुणियो मे विरोध हो तो धर्मात्मा ब्राह्मण को ।