Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
साहस में कार्य करना, चोरी, स्त्री का बलात् अपहरण, कुवाच्य कहना (कटु भाषण वा वाग्ददण्ड), लाठी आदि से मारना इन अभियोगों में साक्षियों की गवाही विश्वास योग्य नहीं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. जितने बलात्कार के काम, चोरी, व्यभिचार कठोरवचन, दंडनिपातनरूप अपराध हैं उनमें साक्षी की परीक्षा न करे । और अत्यावश्यक भी समझें, क्यों कि ये काम सब गुप्त होते हैं ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
बलात्कार के सब काम चोरी, परस्त्रीसम्बन्ध, गाली-गलौच करना, तथा मारपीट करना, इनमें यदि साक्षी न मिलें, तो उनकी परीक्षा न करे, क्योंकि प्रायः ये काम गुप्त भी होते हैं।