Manu Smriti
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आप्ताः सर्वेषु वर्णेषु कार्याः कार्येषु साक्षिणः ।सर्वधर्मविदोऽलुब्धा विपरीतांस्तु वर्जयेत् ।।8/63

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो मनुष्य सब वर्णों के कार्य में सत्यभाषी, सब धर्मों के ज्ञाता और निर्लोभी हैं वही साक्षी देने योग्य हैं तथा जो उपरोक्त गुण न रखते हों उनको साक्षी न करना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. सब वर्णों में धार्मिक, विद्वान्, निष्कपटी सब प्रकार धर्म को जानने वाले लोभ रहित सत्यवादी को न्यायव्यवस्था में साक्षी करे इससे विपरीतों को कभी न करे । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो सब वर्णों में यथार्थवक्ता धार्मिक निष्कपटो विद्वान् हों, जोकि सब प्रकार से धर्म को जानने वाले, और लोभरहित हों, न्यायव्यवस्था में उन्हें साक्षी बनाना चाहिए। किंच, इससे विरुद्ध गुण वालों को छोड़ देना चाहिए।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
सब वर्णो में जो कार्य में चतुर हो उनकों साक्षी करना चाहिये । यह धर्म जानने वाले हो और लोभी न हो । इनसे विपरीत को त्याग दे।
 
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